दलहा पहाड़ घूमने जा रहे है तो ये जान ले की इस पहाड़ से कई धार्मिक मानयताएं जुडी है जिसकी जानकारी आपको होनी जी चाहिए। आइये इस ब्लॉग में जानते है दलहा पहाड़ कहाँ है , कैसे जाए ,मेला कब लगता है। तथा अन्य रहस्य्मयी कहानी।
दलहा पहाड़ ( Dalha Pahad ) कहाँ है dalha pahad kahan hai?
दलहा पहाड़ ( dalha pahad janjgir champa disttrict ke akaltara ke dalhapondi namak gaav me sthit hai ) जांजगीर चांपा जिले अकलतरा तहसील में दलहापोंडी नामक गांव में स्थित है।
दलहा पहाड़ की रहस्य्मयी कहानी
इस पहाड़ से बहुत सारी धार्मिक मान्यताएं जुडी है जिनमे मन जाता है की दलहा बाबा आज भी इस पहाड़ में विराजमान है ,यहाँ पहले 10 कुंड थे ऐसा स्थानीय लोगो का मानना है जिनमे से अभी भी यहाँ 10 में से 8 कुंड विद्यमान है। तथा लोगो का कहना हैं यहाँ पहले 2 तालाब हुआ करता था जिसमे से वर्तमान समय लोगो को एक ही दिखाई देती है। ऐसा बताया जाता है की यंहा पहले मुनि जी का आश्रम हुआ करता था।
पहाड़ की ऊंचाई से चढ़ के देखेंगे तो ये सभी अभी भी विद्यमान है इसकी घने हरे भरे पेड़ पौधे आपके मन को सुकून तथा एक शांति का अनुभव आपको मिलेगा। ऐसा मनोरम दृश्य मानो आप किसी स्वर्ग में आ गए है ऐसा प्रतीत होता हुआ नजर आएगा।
क्या है दलहा पहाड़ में (dalha pahad chhattisgarh )
दलहा पहाड़ (dalha pahad ki height 700 miter hai )लगभग 700 मीटर की ऊंचाई में स्थित एक पर्यटन स्थल के रूप में एक पर्वत है जो एक ऊँची चोटी के सामान है। इसमें एक प्रकार से लम्बी तथा कई जगहों पर खड़ी चढ़ाई है। लगभग थोड़ी दूर चढ़ाई करने के पश्चात आपको लगभग 4 किमी की सीढ़ी की चढ़ाई चढ़नी पड़ेगी तब जाकर इसके मनोरम दृश्य का लुत्फ़ उठाने को मिलेगा।
इसमें आपको ाकि तरह के मंदिर देखने को मिलेगा जैसे ,अर्ध नारेश्वर मंदिर,नाग – नागिन मंदिर ,श्री कृष्ण मंदिर ,श्री सिद्ध मुनि आश्रम ,इसमें आपको 2 कुंड भी दिखाई देंगे सूर्य कुंड व् पवन कुंड।
नागपंचमी में है विशेष मान्यता
नागपंचमी में है दलहा पहाड़ dalha pahad की विशेष मान्यता जिसमे इसमें स्थित कुंडो में स्थित जल के पान से लोगो के शरीर से अनेक प्रकार के रोगो से मुक्ति मिलती है तथा लोग स्वस्थ तथा हष्टपुष्ट रहते है। इसके जल की मान्यता विशेष रूप से नागपंचमी में रहती है। इसी कारण नागपंचमी में यंहा अत्यंत भीड़ देखने को मिलती है।
दलहा पहाड़ में मेला कब लगता है
यंहा साल में दो बार विशेष रूप से मेला देखने को मिलता है १.महाशिवरात्रि के समय और २.नागपंचमी के समय यंहा विशेष रूप से मान्यता है।