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1.माता अंगार मोती का मंदिर कहा स्थित है ?
माता अंगार मोती मंदिर राजधानी रायपुर से करीब 93 KM की दुरी ,तथा धमतरी जिला से इसकी दुरी लगभग 13 KM की दुरी पर स्तिथ है।
मंदिर परिसर में माता के दर्शन के लिए बहुत दूर -दूर टूरिस्ट यंहा आते है साथ ही गंगरेल डैम होने की वजह से यह एक पिकनिक spot भी है। अगर आप एक पिकनिक प्लेस ढूंढ रहे हो तो यह बहुत ही बढ़िया जगह भी है।
2. माता अंगार मोती की स्थापना कैसे हुई ?
वंहा के स्थानीय लोगो का कहना है की वंहा स्तिथ 52 ग्राम (गाँव ) जब डूब रहे थे तो गाँवो को डूबने से बचाने के लिए
माता से प्रार्थना करते है और सभी के लोगो ने मिलके माता जी की स्थापना गंगरेल डैम के किनारे स्थापना किये।
पहले जिस स्थान पर माता जी की स्थापना हुआ था वह घना जंगल हुआ करता था। पहले इस जगह पर जंगली
जीव-जंतु हुआ करते थे। परन्तु अब ऐसा नहीं है पर जंगली सूअर यंहा रात में विचरण करते है।
3.माता अंगार मोती किसकी पुत्री थी ?
माता अंगार मोती ऋषि अंगिरा जी की पुत्री थी। अंगिरा जी सिहावा के समीप गठुला नामक जगह पर स्थित था।
4. आखिर माता अंगार मोती की मंदिर क्यों नहीं बना है ? क्या कारण है की माता खुले आसमान के निचे स्थापित है ?
वंहा के स्थानीय लोग बताते है की माता जी की मंदिर प्रांगण बनाने की कोशिश की गयी पर माता जी वंहा स्थित पुजारियों को स्वपन में माता जी आती है तथा मंदिर का निर्माण न करे ऐसा माता जी निर्देश देती है।
5.दीपावली के बाद होता है एक मड़ई मेला।
माँ अंगार मोती के प्रांगण में निः संतान दंपति आते है माता के पास। आपको हम बता दे की दीवाली के बाद एक मंडई उत्सव का आयोजन होता है जिसमे निः संतान महिलाये आती है और महिलाये प्रवेश द्वार से ही जमीं के बल लेटी रहती है और माता जी इनको आशीर्वाद देती हुई इनके ऊपर से माता की यात्रा निकलती है। और जैसे ही महिलाओं की मन्नते पूरी होती है अपने इच्छा के अनुसार भेंट चढाती है।
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