Table of Contents
चंडी माता घुंचापाली (chandi mata ghunchapali baagbahara)
महासमुंद जिले से 38 किमी की दुरी पर स्थित चंडी माता मंदिर (chandi mata ghunchapali baagbahara ) है जिसकी खास बात ये है की यहाँ रोजाना भालू आते है और माता की आरती में सम्मिलित होते है तथा ये प्रसाद खाकर वापस जंगल की ओर चले जाते है जिन्हे देखने हजारो की संख्या में पर्यटको की संख्या बस देखते बनती है।
चारो तरफ से जंगलो तथा पहाड़ो पर से घिरी माता चंडी की मंदिर की बात ही निराली है ,यहाँ प्रतिवर्ष लाखो की संख्या में माता के दर्शन करने श्रद्धालु एवं भक्तगण आते है राजधानी रायपुर से 100 किमी की दुरी पर स्थित है चंडी माता का मंदिर।
ऐसा माना जाता है कि माता का मंदिर लगभग 150 साल पुराना है और माता सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करती है।
रोज आते है भालू
यहाँ रोज आते है भालू ,यही कारण है यहाँ जिसकी वजह से पर्यटकों में उत्सुकता बानी रहती है इन्हे देखने के लिए। यंहा भालुओ की संख्या पहले 5 थी। नन्हे शावक भालुओ की लड़ाई व् खेलकूद बस देखते ही बनती है यंहा के भालू पर्यटकों द्वारा दिए गए भोज्य पदार्थ जैसे – आम ,कोल्ड्रिंक्स ,प्रसाद आदि का सेवन कर लुत्फ़ का आनंद उठाते है ,
यहाँ के भालुओ ने अब तक किसी को हानि नहीं पहुँचाया है ,ये रोज माता की आरती में सम्मिलित होकर अपनी परम्परा को चला ते आ रहे है।
नवरात्री में लगता है मेला
यहाँ प्रतिवर्ष चैत्र व् कंवार महीने में नवरात्री मेला का आयोजन होता है जंहा हजारो की संख्या में भक्त अपनी मंनोकामना के लिए यंहा घी व् तेल की ज्योति जलवाते है तथा माता चंडी अपनी भक्तो की मनोकामनाएं पूर्ति करती है। यहाँ भक्तो की संख्या नवरात्री में बस देखते ही बनती है।
आस पास घूमने की जगह
- खल्लारी माता मंदिर – चंडी माता मंदिर से लगभग 28 किमी की दुरी पर है खल्लारी माता का मंदिर यहाँ आपको बहुत से सुन्दर नज़ारे को देखने को मिलेगा जिसको देखने के लिए पर्यटक इतनी दूर आते है।
खल्लारी माता मंदिर एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ लगभग 744 सीढ़िया है जैसे माता बम्लेश्वरी मंदिर में है वैसे ही यहाँ भी सीढ़िया है पर यहाँ की सीढ़िया बम्लेश्वरी माता मंदिर से काफी छोटी सीढ़िया है।
खल्लारी माता मंदिर में आपको महाभारत काल से जुड़ी कई पुरातन चीजे देखने को मिलेंगी जो आज भी वहां विद्यमान है -इसमें आपको भीम की रसोई ( चूल ),भीम पाँव ,डोंगा पत्थर इत्यादि नज़ारे देखने को मिलेगा।
ऐसा भी कहा जाता है की महाभारत काल में जब पांडव वनवास के लिए आये थे तो उस समय ये जगह खल्ल वाटिका के नाम से जाना जाता था।
इस खल्ल वाटिका में हिडिम्ब नाम का राक्षस तथा उसकी बहन हिडिम्बा इस वाटिका में राज करते थे , उसी समय गुप्तचरों की सुचना पाकर हिडिम्ब ने अपनी बहन हिडिम्बा को उनके पास भेजा जब हिडिम्बा ने भीम को देखा तो वो उनसे अत्यधिक मोहित हुई और मन ही मन उनसे प्रेम करने लगी ये सब की भनक जब राक्षस हिडिम्ब को हुआ तो गुस्से से भीम के टूट पड़े और उतने ही समय दोनों म लड़ाई होने लगी ,लड़ाई इतनी भयानक थी की इस पहाड़ी पर भीम के पैर धसने लगे थे वही पैर के निशान आज भी मौजूद है।
F&Q
Q.क्या यहाँ रोज भालू आते है ?
ANS. जी हाँ यहाँ रोज भालू आते है