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Khallari Mata Mandir Bhimkhoj Mahasamund।। खल्लारी माता।।

Khallari Mata Mandir Bhimkhoj Mahasamund

खल्लारी माता मंदिर (Khallari Mata Mandir Bhimkhoj Mahasamund)

खल्लारी मंदिर Khallari Mandir

महासमुंद जिले में स्थित माता खल्लारी ( Khallari Mata Mandir Bhimkhoj Mahasamund )का मंदिर बहुत ही प्रसिद्द यहाँ प्रतिवर्ष हजारो की संख्या में माता के भक्त तथा पर्यटक आते है माता का मंदिर एक पहाड़ी की ऊँची चोटी पर स्थित है।

माता के मंदिर पहुँचने के लगभग 844 सीढ़िया चढ़ने को पड़ेगा। लम्बी चढ़ाई होने के कारन काफी थकावट होती है चढ़ने में तो अपने साथ एक पानी का बॉटल जरूर रखे। ऊपर पहुँचने के बाद ऊपर का नज़ारा बहुत ही सुंदर नजारा है।

खल्लारी माता मंदिर ( kallari mata temple story )के ऊपर 2 कहानी बहुत ही प्रमुख है 1..महाभारत काल की जब पांडव वनवास काल में थे,2.माता के मंदिर के निर्माण की।

पांडवो की वनवास काल की कहानी

ये उस समय की बात है जब यह जंगल खल्लवाटिका के नाम से जाना जाता था और यही पांडव तथा माता कुंती,रात्रि के समय विश्राम कर रहे थे तथा भीम रात्रि में पहरा दे रहे थे। तो यंहा हिडिम्ब नाम का राक्षस तथा उसकी बहन हिडिम्बा राक्षसी रहा करती थी।

इस बात की खबर की यंहा कुछ लोग इस वाटिका में आये है हुए इस की सुचना हिडिम्ब को मिलता है। इसका पता लगाने के लिए हिडिम्ब अपनी बहन हिडिम्बा को भेजता है।

हिडिम्बा जब वंहा पहुँचती है तो देखती है की एक बलशाली,सुन्दर पुरुष भीम वंहा पहरा दे रहा है इसे देख हिडिम्बा एक सुन्दर युवती का रूप लेकर उसके पास जाती है तथा वो भीम से प्रेम करने लग जाती है। जब इस बात का पता हिडिम्ब को पता चलता है तो वो भीम पर हमला कर देता है।

लड़ाई ऐसा भयंकर होता है की भीम के पाँव इस पहाड़ के पत्थरो में धसने लगता है यही धंसे हुए पत्थर भीम पाँव है जो आज भी उपस्थित है।

इस लड़ाई में भीम हिडिम्ब राक्षस का वध करते है। तथा उसके बाद हिडिम्बा की विवाह भीम से हो जाता है तथा इनसे एक पुत्र होता है जिसका नाम घटोत्कच रखते है इनकी मूर्ति भी है यंहा।

यहाँ भीम की उपस्थिति होने का प्रमाण आज भी उपस्थित है जैसे –

भीम पाँव ( bhim paanv )

भीम पाँव गड्ढे रूपी संरचना में आज भी देखने को मिलेगा ये गड्ढे 6-7 फ़ीट गहरे ,5 फ़ीट लम्बे ,तथा 2-3 फ़ीट चौड़े है। इसमें काफी पानी बहरे होने के कारन अचे से दिखाई नहीं पड़ता पर जिस गड्ढे में पानी नहीं है इसमें ये स्पष्ट दिखाई पड़ेंगे

भीम चुल्हा

ऐसा माना जाता है की उस समय जब भीम को भूख लगा करती थी तो वो इसी पर्वत में एक रसोई का निर्माण करते है जिसमे आपको बड़े गड्ढो के रूप में चूल्हा दिखाई पड़ेगा ये बहुत ज्यादा विशालकाय जिसे भीम चूल्हा कहते है।

डोंगा पत्थर ( donga patthar )

यंहा आपको एक विशाल काय पत्थर देखने को मिलेगा कई टन वजनी होने के बावजूद भी यह दो छोटे पत्थरो के सहारे पर ऐसा टिका हुआ है की ये कभी निचे गिरता ही नहीं इस नज़ारे को देखने काफी दूर चलकर लोग यहाँ आते है।

डोंगा पत्थर Donga Patthar

अब बारी आती है दूसरी कहानी की

खल्लारी माता मंदिर के निर्माण की कहानी

Khallari Mata खल्लारी माता

खल्लारी माता पहले यहाँ बाजार के लिए आया करती थी यंही पे एक बंजारा भी रहता था ,एक दिन बंजारा माता की पीछे पड़ जाता है माता के कई बार समझाने के पश्चात् जब बंजारा नहीं मानता है तो माता बंजारे को पत्थर के श्रापित कर देती है तथा माता इस ऊँची पहाड़ी में निवास करने लगती है। काफी समय के पश्चात यहाँ के एक जमींदार को माता के रूप का स्वपन आता है तथा बाद में जमींदार इस ऊँचे पर्वत पर माता का एक सुन्दर मंदिर का निर्माण करवाता है।

यहाँ आपको कई गुफाएं देखने को मिलेगा जैसे –

शेर गुफा

यहाँ आपको शेर गुफा देखने को मिल जाएगा जिसमे पहले के समय में यहाँ शेर हुआ करते थे। अभी यहाँ केवल शेर की मूर्ति देखने को मिलेगी जो बहुत ही सुन्दर है।

दंतेश्वरी गुफा

दंतेश्वरी गुफा काफी संकरा है जिसमे माता दंतेश्वरी के दर्शन मिलेगा।

यहाँ अन्य मंदिर

1.भगवान् शंकरजी का मंदिर

लगभग 50 सीढ़ी चढ़ने पर आपको भगवान शंकर जी की मूर्ति देखने को मिलेगी।

2.शनिदेव मंदिर

जैसे ही आप शंकर भगवान्थो के मंदिर से थोड़ी दूर आगे सीढ़ी चढ़ेंगे तो भगवान् शनि का मंदिर मिएगा आप इनके दर्शन करके आगे सीढ़ी चढ़ना जारी रखे।

3.बजरंगबली जी का मंदिर

शनि देव जी के दर्शन के पश्चात थोड़ी दूर चलेंगे तो आपको बजरंगबली जी की मूर्ति देखने को मिलेगा।

4.माता अन्नपूर्णा मंदिर

माता अन्नपूर्णा की मंदिर का दर्शन का करने को मिलेगा नवरात्री के समय आपको यहाँ विशाल भंडारा होता है जिसमे आप प्रशाद ग्रहण कर सकते है।

खल्लारी माता मंदिर कैसे जाए ( खल्लारी मंदिर )

खल्लारी माता मंदिर आप बाइक कार दोनों से जा सकते है ,राजधानी रायपुर से करीब 80 किमी की दुरी पर स्थित है।

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